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15 साल की उम्र में शादी और 18 साल की उम्र में मां बनी भारत की पहली इंजीनियर ललिता
इतिहास की सच्ची घटनाओं के साथ हम आपको अतीत के पन्नों पर कुछ पोस्ट लिखकर समर्पित करेंगे 15 साल की उम्र में शादी, 18 साल मां बनी : कहानी भारत की पहली महिला इंजीनियर की! Lalitha एक मध्यम वर्गीय तेलगु परिवार में जन्मी ए ललिता की शादी तब कर दी गई थीं जब वह मात्र 15 वर्ष की थीं। 18 साल की आयु में ये एक बच्ची की माँ बनीं और दुर्भाग्यवश इसी के चार महीने बाद ही उनके पति का निधन हो गया। 4 माह की श्यामला अब पूरी तरह से अपनी विधवा माँ की ज़िम्मेदारी थी। हालांकि मद्रास में तब सती प्रथा का चलन नहीं था फिर भी एक विधवा को समाज से अलग, एक निर्वासित व कठिन जीवन जीना पड़ता था। प्रगतिशील विचारों व दृढ़ निश्चय वाली ललिता ने वैसे समय में समाज के दबाव में न आकर अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने की ठानी और इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। यहीं से शुरू हुआ उनका वह सफर जिसने उन्हें भारत की पहली महिला इंजीनियर बना दिया। ललिता के पिता पप्पू सुब्बा राव, मद्रास विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी (CEG) में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। उन्होने वहाँ के प्रधानाचार्य केसी चाको, पब्लिक इन्सट्रक्शन के निदेशक आरएम स्ताथम से बात की दोनों ने इस कॉलेज में एक महिला को दाखिला देने का समर्थन किया। यह CEG के इतिहास में पहली बार होने वाला था। ललिता की बेटी श्यामला बताती हैं, “लोगों की सोच के विरुद्ध, कॉलेज के विद्यार्थी का रवैया बहुत सहयोगपूर्ण था। सैकड़ों लड़कों के बीच वह अकेली लड़की थीं पर उन्हें कभी किसी ने असहज नहीं होने दिया। वहाँ अधिकारियों ने उनके लिए एक अलग हॉस्टल का प्रबंध भी किया। जब वह कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रही थीं तब मैं अपने अंकल के पास रहती थी और वो सप्ताह के अंत में मुझसे मिलने आया करती थीं।” उन्होंने अपनी पढ़ाई के बाद नौकरी की और देश में अन्य महिलाओं के लिए भी इंजीनियरिंग के ररास्ते खोल दिए। अपने पूरे करियर में ललिता ने दो बातों का हमेशा ख्याल रखा – पहला, उनकी बेटी का पालन पोषण प्यार भरे माहौल में हो और दूसरा, एक पुरुष प्रधान समाज में उनका औरत होना किसी भी प्रकार की रुकावट न बने। ऐसी साहसी महिला को हम धन्यवाद करते हैं और नमन करते हैं।